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बीए सेमेस्टर-3 शिक्षाशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2653
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 शिक्षाशास्त्र

प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।

अथवा
भारतीय संविधान द्वारा दिये गये स्वतंत्रता के अधिकार की विवेचना कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. भारतीय संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
2. संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता के अधिकार की विवेचना कीजिए।
3. 'शोषण के विरुद्ध अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
4. संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धी अधिकार पर टिप्पणी कीजिए।
5. 'समता का अधिकार क्या है?
6. बन्दी प्रत्यक्षीकरण पर लेख लिखिये।
7. संवैधानिक उपचारों के अधिकार पर टिप्पणी कीजिए।
8. सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों का संरक्षक क्यों बनाया गया है?

उत्तर -

संविधान द्वारा प्रदत्त मूल अधिकार

भारतीय संविधान के भाग 3 तथा अनुच्छेद 12-35 में नागरिकों को छह प्रकार के मौलिक अधिकार प्रदान किये गये हैं। यद्यपि मूल संविधान में कुल अधिकारों की संख्या 7 थी, किन्तु 44वें संविधान संशोधन, 1978 द्वारा 'संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकारों से निकालकर मात्र एक कानूनी अधिकार बना दिया गया है। वर्तमान समय में नागरिकों को प्राप्त मौलिक अधिकार निम्न प्रकार है -

1. समता का अधिकार ( अनुच्छेद 14-18) - इस अधिकार के अंतर्गत निम्नलिखित पांच प्रकार के अधिकार शामिल किये गये हैं-

(I) भारतीय राज्य क्षेत्र में 'विधि के समक्ष समता' तथा 'विधियों का समान संरक्षण ( अनुच्छेद- 14 ) - इसका तात्पर्य यह है कि देश की विधियों के समक्ष सभी व्यक्ति समान हैं, चाहे किसी व्यक्ति की पद अथवा प्रतिष्ठा कुछ भी हो तथा सभी व्यक्तियों को विधि का समान रूप से संरक्षण प्राप्त रहेगा, चाहे व्यक्ति गरीब हो या अमीर इस अनुच्छेद का उद्देश्य 'स्तर एवं अवसर की समानता स्थापित करना है।

(II) धर्म, जाति, वंश, लिंग, जन्म स्थान आदि के आधार पर नागरिकों में समानता ( अनुच्छेद- 15 ) - इस अनुच्छेद के अंतर्गत कानून के आधार पर उपरोक्त किसी आधार पर नागरिकों के मध्य किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जायेगा।

(III) लोक सेवाओं में अवसर की समानता ( अनुच्छेद 16 ) - इस अनुच्छेद के आधार पर राज्य की लोक सेवाओं में सभी नागरिकों के समान अवसर उपलब्ध होंगे। यद्यपि समाज के पिछड़े वर्गों के उत्थान हेतु उन्हें आरक्षण के रूप में कुछ सुविधायें दी जा सकती हैं।

(IV) अस्पृश्यता का अन्त ( अनुच्छेद 17 ) - इस अनुच्छेद के आधार पर छुआ-छूत संबंधी किसी भी व्यवहार को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। समाज से अस्पृश्यता का अंत करने के लिए संसद द्वारा 'अस्पृश्यता अपराध अधिनियम 1955' पारित किया गया था, जिसे बाद में संशोधित कर 'नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1976' कहा गया। इस अध्याय का यही एकमात्र अनुच्छेद है जिसमें गांधी जी के विचारों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

(V) उपाधियों का अंत ( अनुच्छेद 18 ) - इस अनुच्छेद में कहा गया है कि राज्य सेना एवं विद्या संबंधी उपाधियों को छोड़कर अन्य कोई उपाधि प्रदान नहीं करेगा तथा राष्ट्रपति की अनुमति के बगैर कोई भी व्यक्ति विदेशी उपाधि ग्रहण नहीं करेगा।

2. स्वतंत्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 19-22 ) - नागरिकों को प्राप्त अधिकारों में यह अत्यन्त महत्वपूर्ण अधिकार है। एम. पी पावली के अनुसार, यह अनुच्छेद व्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार पत्र है और मौलिक अधिकारों से संबंधित अध्याय का मूल आधार है। अनुच्छेद 19 के अंतर्गत नागरिकों को निम्न छः स्वतंत्रतायें प्रदान की गयी हैं -

(i) विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
(ii) सभा करने की स्वतंत्रता।
(iii) संघ बनाने की स्वतंत्रता।
(iv) अबाध भ्रमण की स्वतंत्रता।
(v) आवास की स्वतंत्रता।
(vi) पेशा, व्यापार व व्यवसाय की स्वतंत्रता।

3. शोषण के विरुद्ध अधिकार - ( अनुच्छेद 23-24 ) - इस अनुच्छेद 23 के तहत मानव के व्यापार तथा उससे बेगार लेना अपराध घोषित किया गया है तथा अनुच्छेद 24 के अंतर्गत 14 वर्ष से कम आयु के किसी भी बालक को कारखानों या अन्य किसी जोखिम भरे उद्योगों में लगाना अपराध घोषित किया गया है।

4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 25-28) - धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भारत की धर्मनिरपेक्ष भावना का परिचायक है। अनुच्छेद 25 में कहा गया है कि भारत के सभी व्यक्तियों को अन्तःकरण की स्वतंत्रता तथा किसी भी धर्म को मानने, आचरण करने तथा प्रचार करने का अधिकार प्राप्त है। अनुच्छेद 26 के अनुसार, लोक व्यवस्था, सदाचार तथा स्वास्थ्य के अधीन रहते हुए सभी धार्मिक समुदायों को धार्मिक प्रयोजनों से संस्थाओं की स्थापना और पोषण, अपने धर्म विषयक कार्यों के प्रबन्ध करने तथा कानूनी तौर पर अर्थोपाजन करने का अधिकार है। अनुच्छेद 27 के अनुसार किसी व्यक्ति को किसी धर्म विशेष के हितार्थ कर देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। अनुच्छेद 28 के अंतर्गत राज्य की संचित निधि से संचालित किसी शिक्षण संस्था में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती।

5. संस्कृति एवं शिक्षा संबंधी अधिकार ( अनुच्छेद 29-30) - इन अनुच्छेदों का उद्देश्य अल्पसंख्यकों को संवैधानिक संरक्षण प्रदान कर देश की विविधता में एकता स्थापित करना है। अनुच्छेद 29 उपबंधित करता है कि सभी व्यक्तियों को अपनी भाषा, लिपि या संस्कृति को सुरक्षित रखने का पूर्ण अधिकार है। अनुच्छेद 30 के तहत धर्म व भाषा आधारित अल्पसंख्यक कार्यों को अपनी रुचि की शिक्षण संस्थाओं की स्थापना और प्रबन्ध का पूर्ण अधिकार होगा।

6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार ( अनुच्छेद 32 ) - डॉ. अम्बेडकर ने संवैधानिक उपचारों के अधिकार को 'संविधान की आत्मा' कहा था। वास्तव में अधिकार तभी सार्थक होते हैं जब उन्हें लागू किया जा सके और यदि उनका हनन हो तो उपचार किया जा सके। संविधान के अंतर्गत यदि व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है तो वह उच्च एवं उच्चतम न्यायालय से उपचार प्राप्त कर सकता है। नागरिकों के मौलिक अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उच्चतम न्यायालय अनुच्छेद 32 के तहत तथा उच्च न्यायालय अनुच्छेद 226 के तहत पांच प्रकार के आदेश तथा प्रलेख जारी कर सकता है जो निम्न हैं -

(i) बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) - इस लेख द्वारा न्यायालय बंदी बनाये गये व्यक्ति को सशरीर न्यायालय के समक्ष पेश करने का आदेश देता है तथा उसे बंदी बनाये जाने के कारणों की जांच करता है। यदि बंदी बनाये जाने के वैध कारण नहीं हैं तो उसे मुक्त करने का आदेश देता है। यह लेख व्यक्तिगत स्वतंत्रता हेतु अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

(ii) परमादेश (Mandamus) - इसका आशय है 'हम आदेश देते हैं इस लेख द्वारा न्यायालय किसी पदाधिकारी अथवा किसी सार्वजनिक संस्था को उसके कर्त्तव्य का पालन कराने के लिए आदेश देता है।

(iii) उत्प्रेषण (Certiorai) - यह लेख उच्च न्यायालयों द्वारा निम्न न्यायालयों को इस आशय से दिया जाता है कि अधीनस्थ न्यायालय किसी मामले की कार्यविधियों अभिलेख उच्च न्यायालय के पास विचारार्थ भेजे।

(iv) प्रतिषेध (Prohibition) - प्रतिषेध द्वारा निम्न न्यायालयों को अपनी अधिकारिता की सीमा में रहकर कृत्यों के निर्वहन के लिए बाध्य किया जाता है। यह लेख केवल न्याययिक प्राधिकारियों के विरुद्ध ही निकाला जाता है।

(v) अधिकार पृच्छा ( Quo Warranto ) - यह प्रलेख किसी व्यक्ति को कोई ऐसा सार्वजनिक पद ग्रहण करने से रोकने के लिए जारी किया जाता है, जिस पद को ग्रहण करने का वह अधिकारी नहीं है।

इस प्रकार स्पष्ट है कि संविधान जहाँ नागरिकों को कई मौलिक अधिकार प्रदान करता है, वहीं इन अधिकारों को प्रवर्तित कराने का अधिकार भी मौलिक अधिकार के रूप में प्रदान करता है।

मूल्यांकन - इस तथ्य से इन्कार नहीं किया जा सकता कि संविधान में मौलिक अधिकारों का उल्लेख भारतीय प्रजातंत्र के उदार स्वरूप को प्रदर्शित करता है। साथ ही यह संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा घोषित 'मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा' 1948 का भी समर्थन करता है।

हालांकि मौलिक अधिकारों की अनेक आधारों पर आलोचना की जाती है, किन्तु फिर भी इन्हें महत्वहीन नहीं माना जा सकता। वास्तव में मौलिक अधिकारों के साथ अनेक सीमायें लगाने का मुख्य उद्देश्य 'व्यक्तिगत स्वतंत्रता' एवं 'राज्य की सुरक्षा' के मध्य समन्वय स्थापित करना था। मौलिक अधिकारों के महत्व को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि सर्वोच्च न्यायालय को इन अधिकारों का संरक्षक बनाया गया है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा के संकुचित तथा व्यापक अर्थों की व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- शिक्षा की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा की परिभाषा देते हुए इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्वरूपों की व्याख्या कीजिए। शिक्षा तथा साक्षरता एवं अनुदेशन में क्या मूलभूत अन्तर है?
  4. प्रश्न- शिक्षा के वैयक्तिक एवं सामाजिक उद्देश्यों की विवेचना कीजिए तथा इन दोनों उद्देश्यों में समन्वय को समझाइए।
  5. प्रश्न- "दर्शन जिसका कार्य सूक्ष्म तथा दूरस्थ से रहता है, शिक्षा से कोई सम्बन्ध नहीं रख सकता जिसका कार्य व्यावहारिक और तात्कालिक होता है।" स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए तथा शिक्षा के लिए इनके निहितार्थ स्पष्ट कीजिए - (i) तत्व-मीमांसा, (ii) ज्ञान-मीमांसा, (iii) मूल्य-मीमांसा।
  7. प्रश्न- शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव बताइये।
  8. प्रश्न- अनुशासन को दर्शन कैसे प्रभावित करता है?
  9. प्रश्न- शिक्षा दर्शन से आप क्या समझते हैं? परिभाषित कीजिए।
  10. प्रश्न- वेदान्त दर्शन क्या है? वेदान्त दर्शन के सिद्धान्त बताइए।
  11. प्रश्न- वेदान्त दर्शन व शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। वेदान्त दर्शन में प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यचर्या व शिक्षण विधियों की व्याख्या कीजिए।
  12. प्रश्न- वेदान्त दर्शन के शिक्षा में योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
  13. प्रश्न- वेदान्त दर्शन की तत्व मीमांसा ज्ञान मीमांसा एवं मूल्य मीमांसा तथा उनके शैक्षिक अभिप्रेतार्थ की व्याख्या कीजिये।
  14. प्रश्न- वेदान्त दर्शन के अनुसार शिक्षार्थी की अवधारणा बताइए।
  15. प्रश्न- वेदान्त दर्शन व अनुशासन पर टिप्पणी लिखिए।
  16. प्रश्न- अद्वैत शिक्षा के मूल सिद्धान्त बताइए।
  17. प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन में दी गयी ब्रह्म की अवधारणा व उसके रूप पर टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन के अनुसार आत्म-तत्व से क्या तात्पर्य है?
  19. प्रश्न- गीता में नीतिशास्त्र की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  20. प्रश्न- गीता में भक्ति मार्ग की महत्ता क्या है?
  21. प्रश्न- श्रीमद्भगवत गीता के विषय विस्तार को संक्षेप में समझाइये |
  22. प्रश्न- गीता के अनुसार कर्म मार्ग क्या है?
  23. प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षा का क्या अर्थ है?
  24. प्रश्न- गीता दर्शन के अन्तर्गत शिक्षा के सिद्धान्तों को बताइए।
  25. प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षालयों का स्वरूप क्या था?
  26. प्रश्न- गीता दर्शन तथा मूल्य मीमांसा को संक्षेप में बताइए।
  27. प्रश्न- गीता में गुरू-शिष्य के सम्बन्ध कैसे थे?
  28. प्रश्न- आदर्शवाद से आप क्या समझते हैं? आदर्शवाद के मूलभूत सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  29. प्रश्न- आदर्शवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। आदर्शवाद के शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यचर्या और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
  30. प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षक की भूमिका को समझाइए।
  31. प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षार्थी का क्या स्थान है?
  32. प्रश्न- आदर्शवाद में विद्यालय की परिकल्पना कीजिए।
  33. प्रश्न- आदर्शवाद में अनुशासन को समझाइए।
  34. प्रश्न- आदर्शवाद के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- प्रकृतिवाद का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। प्रकृतिवाद के रूपों एवं सिद्धान्तों को संक्षेप में बताइए।
  36. प्रश्न- प्रकृतिवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। प्रकृतिवादी शिक्षा की विशेषताएँ तथा उद्देश्य बताइए।
  37. प्रश्न- प्रकृतिवाद के शिक्षा पाठ्यक्रम और शिक्षण विधि की विवेचना कीजिए।
  38. प्रश्न- "प्रकृतिवाद आधुनिक युग में शिक्षा के क्षेत्र में बाजी हार चुका है।" स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- आदर्शवादी अनुशासन एवं प्रकृतिवादी अनुशासन की क्या संकल्पना है? आप किसे उचित समझते हैं और क्यों?
  40. प्रश्न- प्रकृतिवादी शिक्षण विधियों पर प्रकाश डालिये।
  41. प्रश्न- प्रकृतिवाद तथा शिक्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  42. प्रश्न- प्रकृतिवाद की तत्व मीमांसा क्या है?
  43. प्रश्न- प्रकृतिवाद की ज्ञान मीमांसा क्या है?
  44. प्रश्न- प्रकृतिवाद में शिक्षक एवं छात्र सम्बन्ध स्पष्ट कीजिये।
  45. प्रश्न- प्रकृतिवादी अनुशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  46. प्रश्न- शिक्षा की प्रयोजनवादी विचारधारा के प्रमुख तत्वों की विवेचना कीजिए। शिक्षा के उद्देश्यों, शिक्षण विधियों, पाठ्यक्रम, शिक्षक तथा अनुशासन के सम्बन्ध में इनके विचारों को प्रस्तुत कीजिए।
  47. प्रश्न- प्रयोजनवादियों तथा प्रकृतिवादियों द्वारा प्रतिपादित शिक्षण विधियों, शिक्षक तथा अनुशासन की तुलना कीजिए।
  48. प्रश्न- प्रयोजनवाद का मूल्यांकन कीजिए।
  49. प्रश्न- प्रयोजनवाद तथा आदर्शवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  50. प्रश्न- शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य तथा शिक्षण-विधि सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालते हुए गाँधी जी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
  51. प्रश्न- गाँधी जी के शिक्षा दर्शन तथा शिक्षा की अवधारणा के विचारों को स्पष्ट कीजिए। उनके शैक्षिक सिद्धान्त वर्तमान भारत की प्रमुख समस्याओं का समाधान कहाँ तक कर सकते हैं?
  52. प्रश्न- बुनियादी शिक्षा क्या है?
  53. प्रश्न- बुनियादी शिक्षा का वर्तमान सन्दर्भ में महत्व बताइए।
  54. प्रश्न- "बुनियादी शिक्षा महात्त्मा गाँधी की महानतम् देन है"। समीक्षा कीजिए।
  55. प्रश्न- गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा की विवेचना कीजिए।
  56. प्रश्न- शारीरिक श्रम का क्या महत्त्व है?
  57. प्रश्न- गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा क्या है? शिल्प शिक्षा की आवश्यकता बताते हुए इसकी वर्तमान प्रासंगिकता बताइए।
  58. प्रश्न- वर्धा शिक्षा योजना पर टिप्पणी लिखिए।
  59. प्रश्न- शिक्षा के अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधि को स्पष्ट करते हुए स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन की व्याख्या कीजिए।
  60. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के अनुसार अनुशासन का अर्थ बताइए। शिक्षक, शिक्षार्थी तथा विद्यालय के सम्बन्ध में स्वामी जी के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  61. प्रश्न- स्त्री शिक्षा के सम्बन्ध में विवेकानन्द के क्या योगदान हैं? लिखिए।
  62. प्रश्न- जन-शिक्षा के विषय में स्वामी विवेकानन्द के विचार बताइए।
  63. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द की मानव निर्माणकारी शिक्षा क्या है?
  64. प्रश्न- डॉ. भीमराव अम्बेडकर के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के शिक्षा दर्शन का क्या अभिप्राय है? बताइए।
  66. प्रश्न- जाति भेदभाव को खत्म करने के लिए डॉ. भीमराव अम्बेडकर की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  67. प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर की शिक्षा दर्शन की शिक्षण विधियाँ क्या हैं? बताइए। शिक्षक व शिक्षार्थी सम्बन्ध का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- प्रकृतिवाद के सन्दर्भ में रूसो के विचारों का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं हेतु रूसो द्वारा प्रतिपादित शिक्षा योजना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- रूसो की 'निषेधात्मक शिक्षा' की संकल्पना क्या है? सोदाहरण समझाइए।
  71. प्रश्न- रूसो के प्रमुख शैक्षिक विचार क्या हैं?
  72. प्रश्न- जॉन डीवी के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा निर्धारित शिक्षा व्यवस्था के प्रत्येक पहलू को स्पष्ट कीजिए।
  73. प्रश्न- जॉन डीवी के उपयोगिता शिक्षा सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- आधुनिक शिक्षण विधियों एवं पाठ्यक्रम के निर्धारण में जॉन डीवी के योगदान का वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- बहुलवाद से क्या तात्पर्य है? राज्य के विषय में बहुलवादियों के क्या विचार हैं?
  76. प्रश्न- बहुलवाद और बहुलसंस्कृतिवाद का क्या आशय है?
  77. प्रश्न- बहुलवाद, बहुलवादी शिक्षा से आपका क्या आशय है? इसकी विधियाँ बताइये।
  78. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ एवं विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  79. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की प्रक्रिया को बताइए।
  80. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख आधारों की विवेचना कीजिए।
  81. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण में जाति, वर्ग एवं लिंग की भूमिका बताइए।
  82. प्रश्न- विद्यालय संगठन से आप क्या समझते हैं? विद्यालय संगठन का अर्थ, उद्देश्य एवं इसकी आवश्यकताओं पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- विद्यालय संगठन की परिभाषाए देते हुए विद्यालय संगठन की विशेषताओं का वर्णन करें।
  84. प्रश्न- विद्यालय संगठन एवं शैक्षिक प्रशासन में सम्बन्ध बताइए।
  85. प्रश्न- विद्यालय संगठन से आप क्या समझते हैं?
  86. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? इनसे सम्बन्धित धारणाओं का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के दृष्टिकोण से शिक्षा के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  88. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों तथा शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को समझाइए |
  89. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में विद्यालय की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में बाधा उत्पन्न करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
  91. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषताएँ बताइए।
  92. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रारूप बताइए।
  93. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता से आप क्या समझते हैं? सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न कारक एवं शिक्षा की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न रूपों का विवेचन कीजिए।
  95. प्रश्न- उच्चगामी गतिशीलता क्या है?
  96. प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  97. प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
  98. प्रश्न- भारतीय संविधान के अधिकार पत्र की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- मानव अधिकारों की रक्षा के लिए किये गये विशेष प्रयत्न इस दिशा में कितने कारगर हैं? विश्लेषण कीजिए।
  100. प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं मानव अधिकारों में अन्तर लिखिए।
  101. प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
  102. प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं नीति-निदेशक तत्वों में अन्तर बतलाइये।
  103. प्रश्न- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- सम्पत्ति के अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
  105. प्रश्न- 'निवारक निरोध' से आप क्या समझते हैं?
  106. प्रश्न- क्या मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है?
  107. प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व पर प्रकाश डालिये।
  108. प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों की प्रकृति तथा इनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
  109. प्रश्न- 'अधिकार तथा कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
  110. प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्तव्यों का संक्षिप्त विश्लेषण कीजिए।
  111. प्रश्न- मौलिक कर्तव्यों का मूल्यांकन कीजिए।
  112. प्रश्न- नीति निदेशक तत्वों से आप क्या समझते हैं? संविधान में इनके उद्देश्य एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- संविधान में वर्णित नीति निदेशक सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  114. प्रश्न- मौलिक अधिकारों तथा नीति निदेशक सिद्धान्तों में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- नीति निदेशक तत्वों के क्रियान्वयन की आलोचनात्मक व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए।
  116. प्रश्न- नीति-निदेशक तत्वों का अर्थ बताइए।
  117. प्रश्न- राज्य के उन नीति निदेशक तत्वों का उल्लेख कीजिये जिन्हें गांधीवाद कहा जाता है।
  118. प्रश्न- नीति निदेशक सिद्धान्तों का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  119. प्रश्न- नीति निदेशक तत्वों की प्रकृति अथवा स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
  120. प्रश्न- राष्ट्रीय विकास में शिक्षा की भूमिका को विस्तार से बताइए।
  121. प्रश्न- सतत् विकास के लिए शिक्षा से आप क्या समझते हैं? सतत् विकास में शिक्षा की अवधारणा और उत्पत्ति का वर्णन कीजिए।
  122. प्रश्न- सहस्राब्दी विकास लक्ष्य मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स का निर्धारण कौन-सा संस्थान करता है?
  123. प्रश्न- एमडीजी और एसडीजी के मध्य अन्तर बताइए।
  124. प्रश्न- ज्ञान अर्थव्यवस्था की राह पर विकास के संकेतक के रूप में शिक्षा को संक्षेप में बताइए। ज्ञान अर्थव्यवस्था के महत्व को भी बताइए।
  125. प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  126. प्रश्न- सतत् शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  127. प्रश्न- सतत् शिक्षा के प्रमुख अभिकरण की व्याख्या कीजिए।
  128. प्रश्न- मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स (MDGs) व सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी) क्या है? बताइए।

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